डरपोक चूहा की कहानी Darpok chuha ki kahani
बहुत समय पहले की बात है, एक आदमी के घर में एक चूहा रहता था। वह औरत द्वारा अक्सर परेशान किया जाता था, जिससे वह धीरे-धीरे डरपोक बन गया। आदमी को यह देखकर चिंता हुई और उसने अपने दोस्त से सलाह मांगी कि वह चूहे के इस भयभीत जीवन को कैसे बदल सकता है।
दोस्त ने सुझाव दिया, “तू चूहे को एक बंद कमरे में डाल दे। वहाँ वह अपनी डरावनी आवाज़ नहीं फैला पाएगा और धीरे-धीरे उसकी सीमाएँ तय हो जाएंगी।” Darpok chuha ki kahani
आदमी ने दोस्त की बात मानकर चूहे को एक कमरे में बंद कर दिया। अब चूहा अपनी आवाज़ नहीं फैला सकता था, जिससे वह और भी डर गया। धीरे-धीरे उसकी आवाज़ बिल्कुल बंद हो गई, और वह आदमी के घर के आसपास ही रहने लगा। अब वह दिखने में शांत था, लेकिन उसकी आदतें नहीं बदली थीं।
कुछ समय बाद, चूहे ने फिर से अपनी पुरानी आदतें अपना लीं। उसने फिर से अपनी डरावनी आवाज़ निकालनी शुरू कर दी, जिससे आदमी परेशान हो गया। वह दोबारा अपने दोस्त के पास सलाह लेने गया। Darpok chuha ki kahani
Darpok chuha ki kahani
दोस्त ने मुस्कुराकर कहा, “इस बार तू चूहे को बंद करने के बजाय, उसके भीतर के डर को समझने की कोशिश कर। जब तू गौर से देखेगा, तो तुझे पता चलेगा कि वह खुद भी डरा हुआ है।”
आदमी ने अपने दोस्त की बात मानी और चूहे को ध्यान से देखने लगा। उसने देखा कि चूहा खुद भी भयभीत है और उसे भी किसी चीज़ का डर सता रहा है। Darpok chuha ki kahani
दोनों एक-दूसरे को देखकर अचंभित रह गए। उन्हें समझ आ गया कि जो डराता है, वह खुद भी डर से ग्रस्त होता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भय का सामना करने से हम अपनी कमजोरियों को पहचान सकते हैं और अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित कर सकते हैं। डरपोक बने रहने के बजाय, हमें अपने साहस और क्षमताओं को बढ़ाकर अपने डर का सामना करना चाहिए। Darpok chuha ki kahani
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