दो विद्वानों की कहानी Do Vidvano ki kahani

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एक समय की बात है, एक गांव में एक गुरु रहते थे जिन्हें खबर हो गई कि एक अन्य नगर में एक और विद्वान आये हुए हैं। वे अद्भुत ज्ञान के मालिक थे और आगे बढ़ने के लिए सबकी सहायता कर सकते थे। ये खबर सभी को बहुत पसंद आई और सभी लोग उस नगर में उनसे मिलने के लिए जूझने लगे। Do Vidvano ki kahani

इन दो विद्वानों की राजया को पता चलते ही वहां का राजा उनसे बात करने के लिए अपने दरबार में बुला ले आये। राजा ने दोनों विद्वानों से अपने राज्य में ज्ञान का प्रचार करने का आग्रह किया।

दोनों विद्वान ने राजा के आह्वान को स्वीकार किया और उन्होंने राजा के सामने आगे जाकर कहा, “आपके सामर्थ्य के लिए हमें गर्व महसूस हो रहा है, महाराज। हम आपकी सेवा में हमारा सर्वोच्च कर्तव्य मानने के लिए तत्पर हैं।” Do Vidvano ki kahani

राजा ने खुशी से भरे होंठों से कहा, “तुम्हारे सामान्य भाषा में जनता को समझाओ।”

पहले विद्वान मुस्काते हुए बोले, “अच्छा महाराज, हम आपके राज्य के राजा और प्रजा के बीच बातचीत को सुगम बना सकते हैं।”

राजा ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा, “मुझे बिल्कुल आश्चर्य हो रहा है कि तुम कैसे कर सकते हो। ये तो मेरे लिए।”Do Vidvano ki kahani

दूसरे विद्वान ने मुस्काते हुए कहा, “महाराज, हम आपके राज्य के लोगों को सामग्री के बिना खाने का ज्ञान दे सकते हैं।”

राजा ने बहुत ही आश्चर्यचकितता से कहा, “मैं ये सचमुच मानने में सक्षम नहीं हूँ! कृपया मुझे बताओ, तुम इस बात को कैसे सम्भव कर सकते हो?”

पहले विद्वान ने कहा, “महाराज, हम विज्ञान का उपयोग करके एक ऐसा उपकरण बना सकते हैं जिससे हम राजा की मर्यादा के साथ बातचीत कर सकते हैं। यह उपकरण हमारे बहुत सारे प्रयोगों को सुलभ बना सकता है और आपके ग्रामीणों के बीच सामर्थ्य का निर्माण कर सकता है।”

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दूसरे विद्वान ने कहा, “महाराज, हम खाना खाने की जरूरत के बिना एक ऐसा प्रयोग बना सकते हैं जिससे खाने की जगह नहीं होती हैं। यह उपकरण आपके लोगों के लिए आरामदायक और स्वास्थ्यप्रद होगा।”

ये सब सुनकर राजा बहुत प्रभावित हो गए और उन्होंने दोनों विद्वानों का स्वागत किया और अपने राज्य में इन उपकरणों का प्रचार कार्य करने के लिए उन्हें सौभाग्य दिया। दोनों विद्वान ने राजा की प्रशंसा करते हुए उनकी सेवा में खुशीपूर्वक काम किया और सभी लोग उन्हें प्रमाणित करते थे।

इस कहानी से हमें यह सिखाया जाता है कि समय के साथ ज्ञान विकसित हो रहा है और बहुत से अद्भुत आविष्कार हमारी मदद कर सकते हैं। दो विद्वानों के उदारता, समर्पण और सेवाभाव की मिसाल हमें ये बताती है कि हमें हमारे ज्ञान और कौशल को समाज की सेवा में लगाना चाहिए।

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