एक अनमोल रिश्ता Ek Amol Rishta

एक अनमोल रिश्ता Ek Amol Rishta

गाँव के एक छोटे से कोने में एक पुराना बरगद का पेड़ था। उसकी छाँव में हर शाम रामू काका बैठा करते थे। 70 वर्ष की उम्र में भी उनकी कहानियों में वही जादू था, जो वर्षों से गाँव के लोगों को बाँधे रखता था। उनके जीवन के अनुभव और ज्ञान की बातें हर किसी के दिल को छू जाती थीं।

एक दिन, गाँव में एक छोटा बच्चा आया, जिसे सब “चोटू” कहते थे। सिर्फ 10 साल की उम्र में ही उसने अपने माता-पिता को खो दिया था। गाँव के एक परिवार ने उसे अपनाया था, लेकिन उसके मन में हमेशा एक अधूरापन रहता था। Ek Amol Rishta

चोटू अक्सर रामू काका के पास आकर बैठता और उनकी कहानियाँ सुनता। धीरे-धीरे, रामू काका ने उसमें अपने बचपन की छवि देखी और उसे अपने बेटे जैसा प्यार देने लगे।

एक दिन, रामू काका ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, क्या तुम्हें पता है कि इस बरगद के पेड़ के नीचे एक खज़ाना छुपा हुआ है?”

चोटू की आँखें चमक उठीं। उसने उत्सुकता से पूछा, “कहाँ है, काका? मुझे बताइए, मैं उसे खोज निकालूँगा!”

रामू काका ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “जब तुम्हारा दिल सच्चा होगा और जब तुम इस पेड़ की जड़ों को समझोगे, तब तुम्हें खज़ाना अवश्य मिलेगा। बस धैर्य रखना।” Ek Amol Rishta

समय बीतता गया। चोटू रामू काका की बातों को दिल से सुनता और उनके साथ अधिक समय बिताने लगा।

फिर एक दिन, गाँव में भयंकर तूफान आया, जिसने बहुत कुछ नष्ट कर दिया। कई पेड़ उखड़ गए, घरों की छतें उड़ गईं और गाँव में अफरा-तफरी मच गई। उसी तूफान में रामू काका का भी निधन हो गया।

चोटू का दिल टूट गया, लेकिन उसने काका की बातें याद रखीं।

तूफान के बाद, गाँव वालों ने क्षतिग्रस्त इलाकों को साफ़ करना शुरू किया। जब उन्होंने बरगद के पेड़ की जड़ों की सफाई की, तो चोटू को वहाँ कुछ चमकता हुआ नज़र आया। उत्सुकता से उसने मिट्टी हटाई, तो एक पुराना बक्सा निकला।

Ek Amol Rishta

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चोटू ने धीरे से उसे खोला। उसमें पुराने सिक्के, कुछ गहने और एक पत्र था। उसने काँपते हाथों से पत्र खोला और पढ़ा—

“प्रिय चोटू,

यह खज़ाना तुम्हारे लिए है। इसे हमेशा संभालकर रखना और इसका उपयोग सही कामों के लिए करना। लेकिन याद रखना, असली खज़ाना धन-दौलत नहीं, बल्कि सच्चाई और प्रेम में होता है। यही जीवन का सबसे बड़ा उपहार है। Ek Amol Rishta

  • रामू काका”

चोटू की आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने बिना किसी स्वार्थ के यह खज़ाना गाँव के लोगों में बाँट दिया और रामू काका की याद में एक छोटा सा स्कूल बनवाया।

समय बीतता गया, और चोटू खुद एक शिक्षक बन गया। उसने रामू काका की कहानियाँ बच्चों को सुनानी शुरू कर दीं। उनकी बातें आज भी गाँव के लोगों के दिलों में बसी हुई थीं।

इस कहानी ने सबको सिखाया कि असली खज़ाना सोना-चाँदी नहीं, बल्कि प्रेम, ज्ञान और सच्चे रिश्तों में होता है। यह साबित हुआ कि जो दिल से जुड़े होते हैं, वे कभी नहीं बिछड़ते। Ek Amol Rishta

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