जादुई वन की रहस्यमयी परी कथा Jaduyi Van Ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक साहसी लड़का रहता था। उसे परी कथाओं से बेहद लगाव था और वह हमेशा रोमांचक यात्राओं के सपने देखा करता था। एक दिन, गाँव के पास जंगल में टहलते हुए, उसे एक पुरानी रहस्यमयी किताब मिली। किताब के कवर पर लिखा था, “जादुई वन की रहस्यमयी परी कथा।”
जैसे ही अर्जुन ने किताब खोली, उसने खुद को एक जादुई जंगल के बीचों-बीच पाया। यह कोई साधारण जंगल नहीं था—यहाँ के पेड़ चमक रहे थे, पक्षी मीठे स्वर में गा रहे थे, और हवा में रहस्यमयी जादू घुला हुआ था। अर्जुन ने आश्चर्य से सोचा, “क्या मैं किसी परी कथा के संसार में आ गया हूँ?” Jaduyi Van Ki Kahani
थोड़ी ही देर में, एक छोटी-सी चमकती हुई परी प्रकट हुई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “स्वागत है, अर्जुन! मैं तारा हूँ, इस जादुई वन की रक्षक। तुम्हें यहाँ बुलाने का एक खास कारण है। हमारे वन पर एक संकट आ गया है और केवल तुम ही इसे बचा सकते हो।”
अर्जुन यह सुनकर चौंक गया। उसने तारा से पूछा, “मुझे क्या करना होगा?”
तारा ने समझाया, “वन के सबसे गहरे हिस्से में एक गुप्त गुफा है, जहाँ एक दुष्ट जादूगर ने हमारी सारी खुशियाँ कैद कर रखी हैं। हमें वहाँ जाकर उसे मुक्त करना होगा।”
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अर्जुन ने पूरे साहस के साथ इस चुनौती को स्वीकार किया और तारा के साथ आगे बढ़ा। रास्ते में, उन्होंने कई जादुई जीवों से मुलाकात की, जिन्होंने उनकी मदद करने की पेशकश की। जैसे-जैसे वे गुफा के करीब पहुँचे, अर्जुन का दिल जोरों से धड़कने लगा। गुफा के द्वार पर एक विशाल पत्थर रखा था, जिसे हटाना असंभव लग रहा था। Jaduyi Van Ki Kahani
तभी तारा ने अर्जुन को एक जादुई मंत्र बताया। जैसे ही अर्जुन ने मंत्र पढ़ा, पत्थर अपने आप हट गया और गुफा का रास्ता खुल गया। अंदर जाते ही उन्होंने देखा कि वहाँ एक विशाल क्रिस्टल रखा था, जिसमें पूरे वन की खुशियाँ कैद थीं।
अर्जुन ने तारा से पूछा, “अब हमें क्या करना होगा?”
तारा ने मुस्कुराकर कहा, “तुम्हारे साहस और विश्वास से ही इस क्रिस्टल को तोड़ा जा सकता है। बस इसे छूना होगा।”
अर्जुन ने हिम्मत जुटाकर क्रिस्टल को छू लिया। अचानक, एक तेज रोशनी फैली और वन की सारी खुशियाँ वापस आ गईं। दुष्ट जादूगर का जादू टूट गया, और पूरा जंगल फिर से जीवन से भर गया। Jaduyi Van Ki Kahani
तारा और बाकी सभी जीवों ने खुशी से जश्न मनाया। जब अर्जुन गाँव लौटने लगा, तो तारा ने उसे एक जादुई पंख भेंट किया और कहा, “यह तुम्हारे साहस और विश्वास का प्रतीक है। इसे हमेशा सँभालकर रखना।”
अर्जुन ने उस पंख को अपने पास रखा और गाँव लौटकर अपनी रोमांचक यात्रा की कहानी सभी को सुनाई। उसकी इस अद्भुत यात्रा की कहानी पूरे गाँव में प्रसिद्ध हो गई और पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाने लगी।
यह कहानी साबित करती है कि परी कथाएँ केवल किताबों में ही नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी होती हैं—जहाँ भी विश्वास, साहस और अच्छाई हो, वहाँ हमेशा जादू संभव है। Jaduyi Van Ki Kahani
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