The King of the Jungle and the Tiny Squirrel
बहुत समय पहले की बात है, घने जंगल में एक छोटी सी नटखट गिलहरी रहती थी। जंगल के सभी जानवर उसे प्यार से ‘चुलबुली’ कहते थे। चुलबुली हमेशा खुश रहती और शाखाओं पर उछलकूद कर अपना समय बिताती। लेकिन जंगल के राजा, शेर ‘गर्जन’, को चुलबुली की यह चंचलता पसंद नहीं थी।
एक दिन, गर्जन ने चुलबुली को एक बड़ा सबक सिखाने का निश्चय किया। जब चुलबुली अपने पसंदीदा पेड़ पर खेल रही थी, गर्जन ने धीरे से उसके पास पहुँच कर गरज कर कहा, “चुलबुली, तुम्हारी यह चपलता मुझे परेशान करती है। आज से तुम इस जंगल में नहीं खेल सकोगी!” The King of the Jungle and the Tiny Squirrel
The King of the Jungle and the Tiny Squirrel
चुलबुली डर गई लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटाकर शेर से कहा, “महाराज, खेलना मेरी प्रकृति है, और मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहती। क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकती हूँ, जिससे आप मुझे माफ़ कर दें और मैं फिर से खेल सकूँ?” The King of the Jungle and the Tiny Squirrel

गर्जन ने चुलबुली की यह बात सुनी और सोचा कि इस छोटे से जानवर से क्या मदद की उम्मीद की जा सकती है। फिर भी उसने सोचा और चुलबुली से कहा, “ठीक है, अगर तुम मेरी मदद कर सको तो मैं तुम्हे माफ़ कर दूंगा। मेरे पंजे में कुछ दिनों से कांटा चुभा है, और मैं उसे निकाल नहीं पा रहा हूँ।”
चुलबुली ने बिना देरी किये गर्जन के पंजे के पास जाकर धीरे से कांटे को निकाल दिया। गर्जन के दर्द से राहत मिली और वह चुलबुली का बहुत आभारी हुआ। उसने न केवल चुलबुली को माफ किया, बल्कि उसे जंगल की सबसे अच्छी दोस्त भी घोषित किया।
समय बीतने के साथ, गर्जन और चुलबुली सभी जानवरों के लिए दोस्ती और साहस की मिसाल बन गए। चुलबुली ने यह सिखाया कि कोई भी कितना भी छोटा क्यों न हो, उसकी मदद का मूल्य कभी कम नहीं होता। The King of the Jungle and the Tiny Squirrel
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